मां कह एक कहानी

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बालमन बहुत की चंचल होता है, ऐसे मन में हजारों ऐसे सवाल होते है, जो किसी भी कल्पना से परे होते हैं। बालक के मन को तमाम तर्कोंं से भी शांत करना आसान नहीं होता। तभी र्इ्रश्वर ने हर बालक के जीवन में माँ जैसी एक ऐसी सहनशीन नारी दी जो अपने बच्चे की हर सवाल का जवाब बहुत धैर्य और प्यार से देती है। माँ कभी गुनगुनाकर, कभी आसमान के चाँद – तारे दिखाकर, कभी अजीब शक्लें बनाकर, कभी परियों की तो कभी राजा – रानी की कहानी सुनाकर अपने बच्चे का लालन – पालन करती है। माँ की हर कहानी में कोई संदेश, कोई नैतिकता छुपी होती है। लेखिका ने कुछ ऐसी ही छोटी – बड़ी कहानियाँ इस संग्रह में पिरोयी है।

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Description

बालमन बहुत की चंचल होता है, ऐसे मन में हजारों ऐसे सवाल होते है, जो किसी भी कल्पना से परे होते हैं। बालक के मन को तमाम तर्कोंं से भी शांत करना आसान नहीं होता। तभी र्इ्रश्वर ने हर बालक के जीवन में माँ जैसी एक ऐसी सहनशीन नारी दी जो अपने बच्चे की हर सवाल का जवाब बहुत धैर्य और प्यार से देती है। माँ कभी गुनगुनाकर, कभी आसमान के चाँद – तारे दिखाकर, कभी अजीब शक्लें बनाकर, कभी परियों की तो कभी राजा – रानी की कहानी सुनाकर अपने बच्चे का लालन – पालन करती है। माँ की हर कहानी में कोई संदेश, कोई नैतिकता छुपी होती है। लेखिका ने कुछ ऐसी ही छोटी – बड़ी कहानियाँ इस संग्रह में पिरोयी है।

Additional information

Weight 0.300 kg
Dimensions 22 × 15 × 2 cm

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