Description
कल्पना स्वयं में मनुष्य की एक अद्भुत शक्ति है,यह शक्ति ही तो है,जिसके बल पर देश और विदेश की महान विभूतियाँ एक जगह एकत्र हो गयीं और कोरोना की महती विपदा के संबंध में इतनी व्यापक और गहराई में जा कर विचार विमर्श करने लगीं ! एक आपदा के संबंध में सोचने के कितने दृष्टिकोण हो सकते हैं,उनको कथाकार ने अपने ढंग से और बड़े रोचक तरीके से कोरोनाकालकथा में प्रस्तुत किया है। कथा हर विमर्श के अंत में सूत्रधार महर्षि के भूलोक दृष्टपात से पृथ्वी पर घटने वाली घटनाओं का संदर्भ सहित विवरण इस उपन्यास को ऐतिहासिक दस्तावेज बना देती है।
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