Mera Samajik Bodh

249.00

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Description

यह किताब, जैसा कि शीर्षक से पता चलता है, (मेरा सामाजिक बोध)।  मेरी समाज के प्रति समझ को प्रदर्शित करती है।  इसमें मैने समाज के लगभग सभी वर्गों की चिंताओं को छूने का और समाधान का प्रयास किया है। साथ ही व्यक्ति के अंतर्मन के स्वाभाविक पहलुओं को सामान्य तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास भी किया गया है।

इस कविता संग्रह में चिंताओं, समस्याओं,द्वंद्वों के अतिरिक्त मार्मिकता ,वात्सल्य एवम् प्रेम तत्व को समाहित करते हुए सामान्य जीवन से जोड़ने का और दर्शन व मनोविज्ञान के विषयों को सामान्य व्यक्ति की दृष्टि से समझने का भी प्रयास किया गया है। कुछ कविताएं लीक से हटती हुई प्रतीत होंगी लेकिन वे स्वाभाविक सामाजिक बोध का ही हिस्सा हैं।

यथार्थ को एक सामान्य दृष्टि से देखने का नजरिया विकसित करने का प्रयास किया है। वंचितों ,दमितों व अन्य उत्पीड़ित इकाइयों के मन को समझते हुए सहानुभूति से और आगे चलकर परानुभूति के स्तर तक पहुंचने का प्रयास किया गया है।

 

Additional information

Weight 0.300 kg
Dimensions 22 × 15 × 2 cm

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